सेहतराग विशेष: महिला दिवस के बारे में जानें ये रोचक बातें

सेहतराग विशेष: महिला दिवस के बारे में जानें ये रोचक बातें

नरजिस हुसैन

औरतों के लिए आज भी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा दूर की बात है। उन्हें एक ही जगह, एक ही जैसा काम करने पर भी आदमी से अलग कम पैसा मिलता है। और आज भी औरतों से जुड़े फैसले आदमी ही करता दिखता है। यह हाल सिर्फ भारत का नहीं है बल्कि हकीकत यह है कि दुनिया को कोई भी देश आज तक लिंग समानता कायम नहीं कर सका।

 

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरूआत अमेरिका से 1909 में हुई जब अंतराष्ट्रीय महिला कपड़ा बनाने वाली एक फैक्ट्री की महिला युनियन ने बड़ी हड़ताल की थी। उस जमाने में वहां कि सोशलिस्ट पार्टी ने भी इसको मदद की थी। इस दिन को मनाने का मकसद पूरी दुनिया के अलग-अलग देशों की महिलाओं की सफलताओं पर खुशियां मनाना है। इसलिए इस दिन आज भी कई देशों खासकर चीन, युक्रेन और रूस में इस दिन आधिकारिक अवकाश भी दिया जाता है। 

वो आठ भारतीय महिलाएं जिन्होंने मेडिसिन में कमाल किया

कादंबिनी गांगुली- ब्रिटिश राज में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से डिग्री पाने वाली गांगुली अकेली भारतीय महिला थी जो स्नातक थी। 1886 में वह दूसरी भारतीय महिला डॉक्टर बनी जिसने पाश्चात्य मेडिसिन में काम किया।

एस आई पदमावती- डॉक्टर शिवारामाकृष्णा अय्यर पदमावती भारत की पहली महिला कार्डियोलाजिस्ट बनी। 96 की उम्र में आज भी वह अपने मरीजों का बदस्तूर ऐसे ही इलाज कर रही हैं जैसा कि 60 साल पहले कर रही थी। 1949 में लंदन से अपनी डॉक्टरी का पढ़ाई करने वाली पदमावती ने भारत में पहली बार हार्ट फांउडेशन की स्थापना की जो लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में जानकारियां दे रहा है।

इंदिरा हिंदुजा- डॉक्टर इंदिरा ही वह पहली भारतीय मिहला डॉक्टर थी जिन्होंने 1986 में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी की डिलीवरी की।

कामिनी राव- पूरे दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति खासकर फर्टिलिटी और प्रजनन स्वास्थ्य पर इन्होंने खूब काम किया। लंदन से मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर दक्षिण भारत लौटीं और यहां देश का पहला सीमेन बैंक खोला।

मीना गणेश- मीना ने 2013 में देश का पहला घर-घर जाकर इलाज करने वाला अस्पताल पोर्टिया मेडिकल खोला। इनका यह अस्पताल देश में उन जगहों में भी प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहा है जहां सरकार की पहुंच नहीं है। डॉक्टर मीना एक महीने में करीब एक लाख मरीजों का इलाज करती हैं।

नीरजा बिरला- नीरजा ने एमपॉवर फांउडेशन की स्थापना की जो देश में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों तक पहुंचा रहा है। उन लोगों तक भी जो इसका खर्च उठा नहीं सकते ताकि अच्छे इलाज में पैसा आड़ा न आए। इनका फांउडेषन स्कूलों, कॉलेजों और कॉरपोरेट सेक्टर में अपनी सेवाएं देता है जिससे वक्त रहते मानसिक विकारों को रोका जा सके। 

गीता मंजुनाथ और निधि माथुर-  इन दोनों ही महिलाओं ने निरमई नाम की एक संस्था का गठन किया जो ब्रेस्ट कैंसर की जागरुकता और उसके मरीजों के साथ काम करती है। भारत जहां हर दूसरी औरत को ब्रेस्ट कैंसर का खरा है वहां ऐसी ही किसी शुरूआत की बेहद जरूरत थी। कम खर्चीली और छोटे शहरों में भी आसानी से काम करने वाली ये मशीने वक्त से पहले ही कैंसर का अंदेशा जाहिर कर देती हैं ताकि सही वक्त पर सही इलाज हो सके।

डॉक्टर जयश्री मोंदकर- डॉक्टर मोंदकर एक नियोनेटालाजिस्ट हैं और एशिया में पहला ह्यूमन मिल्क बैंक शुरू करने का श्रेय इनको ही जाता है। इस बैंक के जरिए इन्होंने शिशु मृत्यु दर को रोकने की ईमानदार कोशिश की है।

 

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 2020 की थीम

और सालों की तरह इस साल भी दुनियाभर में 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाने की तैयारी पूरी जोरो-शोर से है। औरतों के लिए काम रही संयुक्त राष्ट्र की यूएन वीमेन ने इस साल यानी 2020 का थीम रखा है- मैं एक पीढ़ी की समानता हूं, महिला अधिकारों को साकार कीजिए। पिछले कई सालों से यूएन वीमेन लिंग समानता की दिशा में एक अभियान छेड़ा है जिसमें हर लिंग, उम्र, क्षेत्र, धर्म, देश और जाति को साथ लेकर चलने की बात कही है। जिसके साथ ही हम एक ऐसे युग में दस्तक देंगे जहां लिंग समानता होगी।

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